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पात्रा चॉल घोटाले में ED की बड़ी कार्रवाई, वाधवन ब्रदर्स की करोड़ों की संपत्ति अटैच l ED big action in Patra Chawl scam assets worth crores of Wadhawan brothers in goa attached

पात्रा चॉल घोटाले में ED की बड़ी कार्रवाई, वाधवन ब्रदर्स की करोड़ों की संपत्ति अटैच l ED big action in Patra Chawl scam assets worth crores of Wadhawan brothers in goa attached

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पात्रा चॉल घोटाला में ED की बड़ी कार्रवाई

पात्रा चॉल घोटाला: महाराष्ट्र के चर्चित घोटालों में से एक पात्रा चॉल घोटाला में ED ने बड़ी कार्रवाई की है। ED ने इस मामले में गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राकेश कुमार वाधवन और सारंग कुमार वाधवन की उत्तरी गोवा में स्थित 31.50 करोड़ रुपये की दो अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। इस मामले में जांच एजेंसी की यह बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। बता दें कि इसी घोटाले के मामले उद्धव ठाकरे गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत कई दिनों तक जेल में रहे थे। 

आखिर है क्या पात्रा चॉल घोटाला ?

साल 2007 में एक जमीन पर टिन के चॉल में 500 से ज्यादा परिवार रहते थे। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी (GACPL) से यहां फ्लैट्स बनाने का करार किया। इस कंपनी के साथ हुए समझौते के अनुसार, इस जमीन पर 3,000 फ्लैट बनने थे। इसमें से 672 फ्लैट वहां चॉल में रहने वाले लोगों को दिए जाने थे। करार में यह स्पष्ट तरीके से कहा गया था कि यहां फ्लैट बनाने वाली कंपनी को इस जमीन बेचने का अधिकार नहीं होगा। लेकिन आरोप है कि कंपनी ने समझौते का उल्लंघन करते हुए इस जमीन को 9 अलग-अलग बिल्डर्स को 1,034 करोड़ में बेच दिया। कंपनी ने जमीन को बेंच तो दिया लेकिन फ्लैट एक भी नहीं बना।

चॉल में रहने वाले हो गए बेघर 

चॉल में रहने वाले परिवारों ने पक्के मकानों जके सपने में अपने टिन के मकान तो छोड़ दिए लेकिन उनके सपने मुंबई की बारिश में धुल गए। म्हाडा से हुए समझौते के तहत प्रोजेक्ट पूरा होने तक इन सभी 672 लोगों को GACPL को हर महीने रेंट भी देना था। हालांकि, इन सभी को केवल 2014-15 तक ही रेंट दिया गया। इसके बाद अपने बने बनाए टिन के मकानों को छोड़कर किराएदार बने लोगों ने किराया नहीं मिलने की शिकायत करने लगे। यही नहीं, वो प्रोजेक्ट में देरी की शिकायत को लेकर दर-दर भटकने लगे। GACPL के रेंट नहीं देने और अनियमितताओं के कारण म्हाडा ने 12 जनवरी 2018 को कंपनी को टर्मिनेशन नोटिस भेज दिया। लेकिन इस नोटिस के खिलाफ सभी 9 बिल्डरों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।  कंपनी की अनियमितताओं के और इन सब चक्करों में प्रोजेक्ट का काम रुक गया और बेचारे चॉल के 672 लोगों को कुछ नहीं मिला। जो कभी अपने घर के मालिक होते थे वे आज दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।

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