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Begusarai News : बेगूसराय में इस जगह मिलती है प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण, जानिए इसकs फायदा

Begusarai News : बेगूसराय में इस जगह मिलती है प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण, जानिए इसकs फायदा

रिपोर्ट: नीरज कुमार

बेगूसराय
: किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. किसानों के लिए कई हितकारी योजनाएं भी चला रही है. लेकिन रासायनिक खाद के बढ़ते प्रचलन के चलते किसान अधिक उत्पादन के चक्कर में अपना ही नुकसान कर रहे हैं. खेती में बढ़ते रसायनों के इस्तेमाल से मिट्टी अपनी उर्वरता खो रही है.

रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के बढ़ते प्रचलन के चलते फसलों का उत्पादन भी साल-दर-साल कम हो रहा है. इससे फसल उत्पादन बढ़ाने वाले मिट्टी के जीवाश्म भी नष्ट हो जाते हैं. इन सभी समस्याओं के समाधान को लेकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. कृषि विज्ञान केन्द्र इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है. बेगूसराय जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में अब किसानों को प्राकृतिक तरीके से खेती करने के लिए प्रशिक्षण देने का सिलसिला शुरू किया गया जा रहा है.

महीने में दो बार किसानों को दिया जाएगा प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण

कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दे रहे अंशुमान द्विवेदी ने बताया महीने में एक या दो बार जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जायेगा. प्राकृतिक खेती को जीरो बजट खेती या गाय आधारित खेती भी कहते हैं. इस दौरान किसानों को प्राकृतिक खेती करने के सारे तरीकों के बारे में जानकारी दी जाती है. उन्होंने बताया कि इस खेती में रसायनों की जगह गोबर से बनी खाद और गौमूत्र आधारित कीटनाशक का इस्तेमाल होता है. गाय पालने वाले किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए कोई खर्च नहीं करना पड़ता है.

कम संसाधन में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं किसान

बेगूसराय कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामपाल ने बताया कि इस तकनीक से किसान कम संसाधन में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए बाहर से किसी भी सामाग्री को लाने की जरूरत नहीं है. किसानों के पास जो भी सामाग्री उपलब्ध है, उसी का उपयोग करना होता है.

प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के रूप में नीम के पत्ते, गाय के गोबर की खाद, कम्पोस्ट, खाद जीवाणु फसल और अन्य प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम, चूना मिट्टी आदि के द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिया जाता है. इस तकनीक से खेती करने पर भूमि में सुधार भी होता है और खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होने लगती है.

Tags: Begusarai news, Bihar News

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