दरभंगा. चैत्र नवरात्र के दशमी तिथि को लोग यात्रा के दृष्टिकोण से शुभ मानते हैं. इस दिन विशेष कर लोग अपनी शुभ या विशेष कार्य के लिए यात्रा प्रारंभ करते हैं. लेकिन, ऐसा नहीं करना चाहिए. इस दिन यात्रा का प्रावधान कुछ विशेष व्यक्तियों के लिए होता है. आम तौर पर लोगों की धारणा है कि दशमी के दिन यात्रा का शुभ संयोग होता है. लेकिन, केवल कुछ ही लोगों को यह पता होगा कि पंचांग में दसवीं के दिन यात्रा शब्द का अर्थ क्या होता है. उस दिन किसी शुभ कार्य या विशेष कार्य के लिए यात्रा का जिक्र पंचांग में नहीं है.
इस बारे में न्यूज़ 18 लोकल ने विश्वविद्यालय पंचांग के गणितकर्ता और सहायक प्रोफेसर डॉ. वरुण झा से विस्तृत जानकारी ली. उन्होंने बताया की दशमी तिथि की जो यात्रा शब्द लिखी हुई है इसका मतलब कुछ और होता है. पंचांग में केवल यात्रा शब्द लिखा है. पंचांग में उसका तात्पर्य सीमा उल्लंघन करना होता है. सीमा के पार जाने का यह तात्पर्य इस बात से है कि अधिकांश लोग अपने घरों में या फिर मंदिरों में या फिर जो व्यक्ति जहां रहते हैं उस स्थान पर कलश स्थापित कर के और तब मां भगवती की दसों स्वरूप की पूजा करते हैं. इसमें यह प्रावधान है कि आप जिस स्थान पर कलश स्थापित करके पूजा कर रहे हैं तो उस स्थान पर एक सीमा बांध ली जाती है कि मैं इसे नवरात्र की अवधि तक यहां से बाहर नहीं जाऊंगा. मैं अपनी सीमा में रहूंगा.
पंचांग में जो यात्रा शब्द लिखा होता है उसका तत्प्राय है कि अब आपने नौ दिन तक मां भगवती की पूजा-अर्चना कर ली है. 10वें दिन पूजा की समाप्ति के बाद आप अपनी उस सीमा से बाहर जा सकते हैं. जिस सीमा को अपने कलश स्थापना के समय संकल्प लेकर बांधा था.
किसी विशेष कार्य पर निकलने से पहले पूछ लें
बहुत से लोग कोई भी शुभ या विशेष कार्य के लिए 10वीं के दिन यात्रा करते हैं. ऐसे में उनको एक बात जान लेना जरूरी है. दशमी के दिन कोई भी शुभ कार्य के लिए निकलने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या जानकार से सलाह लेनी चाहिए कि उस दिन की यात्रा उनके लिए शुभ है या नहीं. इसके बाद निर्देश के अनुसार काम करें.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
FIRST PUBLISHED : March 30, 2023, 13:34 IST