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प्राचीन सूर्य मंदिर में छठ पर जुटते हैं हजारों श्रद्धालु, कुंड में स्नान कर चर्म रोग से मिलती है मुक्ति | Chhath devotees offered Arghya in ancient Suryakund of Gaya, Thousands of devotees gather on Chhath in the ancient Sun Temple, getting rid of skin diseases by bathing in the pool

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गया25 मिनट पहले

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धार्मिक नगरी गयाजी के विष्णुपद मंदिर व फल्गु नदी के तट के समीप सूर्य के अति प्राचीन मंदिरों में सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड की महिमा है। इसे दक्षिणार्क मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जिसका उल्लेख हिन्दू ग्रन्थ वायु पुराण में मिलता है। सदियों से सूर्यकुंड सरोवर में छठ के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। यहां से अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है। मंदिर के मुख्य द्वार पर सूर्यकुंड सरोवर है।

सूर्यकुंड में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इसे लेकर हजारों की संख्या में छठव्रती एवं उनके परिवार के सदस्य यहां जुटते हैं। सोमवार को भी यहां चैती छठ पर भी अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ी रही।

मान्यता है कि सूर्यकुंड सरोवर में अस्ताचल गामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद तालाब के समीप ऊपर में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा का पूजन करने से श्रद्धालु की हर मन्नतें पूरी होती है। सूर्यकुंड में पौराणिक मान्यता है कि इस सूर्य कुंड में स्नान करने से चर्म रोग से लोगों को मुक्ति मिलती है। इसके अलावा भी शरीर को अन्य कई रोगों से भी निजात मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में गंधक की मात्रा ज्यादा है। जिसकी वजह से अन्य रोगों से भी लोगों को मुक्ति मिलती है।

मंदिर के जानकार माखन पांडेय बताते हैं कि मन्दिर व कुंड आदि काल से है। यहां छठ के संध्या बेला में ही अर्घ्य देने की परंपरा रही है। यहां स्नान करने से चर्म रोग सहित अन्य रोगों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि यहां कुंड में गन्धक की मात्रा अधिक है। वहीं स्नान के बाद सूर्यनारायण मंदिर में श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से हर मन्नत पूरी होती है। अस्ताचलगामी अर्घ्य देने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। इसबार फल्गु में पानी नहीं है। इसलिए हजारों संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही।

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