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Street Food : यहां रोजाना एक क्विंटल आटे से बनते हैं लिट्‌टी, स्वाद ऐसा खाने के लिए लगती है लाइन

Street Food : यहां रोजाना एक क्विंटल आटे से बनते हैं लिट्‌टी, स्वाद ऐसा खाने के लिए लगती है लाइन

रिपोर्ट-रविकांत कुमार

मधेपुरा. बिहार का लिट्‌टी-चोखा देश-विदेश में चर्चित है. यह बनाया भी जाता है कि अलग-अलग वेरायटी का. पटना और इसके आसपास में जहां सेंकुआ लिट्‌टी का ज्यादा चलन है, तो कोसी क्षेत्र में तेल में फ्राय किया हुआ लिट्टी खाना लोग खूब पसंद करते हैं. आमतौर पर लिट्‌टी के लिए दुकानदार गेहूं के आटा में मैदा मिक्स करते हैं, लेकिन मधेपुरा जिले के मुरलीगंज बाजार के हरिद्वार चौक पर स्थित इस दुकान में लिट्‌टी सिर्फ गेहूं के आटा में तैयार किया जाता है. भीड़ इतनी कि प्रतिदिन एक क्विंटल आटे का लिट्‌टी लोग यहां खा जाते हैं. तो अगर आप भी कभी मुरलीगंज इलाके से होकर गुजते हैं, तो हरिद्वार मिष्ठान भंडार का लिट्‌टी और चना का घुघनी खाना नहीं भूलें.

कभी दादाजी ने की थी छोटी दुकान से शुरुआत

हरिद्वार मिष्ठान भंडार के संचालक प्रकाश भगत बताते हैं कि मुरलीगंज के गोल बाजार स्थित हरिद्वार मिष्ठान भंडार की शुरुआत कई दशक पूर्व छोटी सी लिट्टी दुकान से हुई थी. लिट्‌टी का स्वाद लोगों के सिर चढ़कर ऐसा बोला कि पहले दादा फिर उनके पिता, फिर चाचाजी और फिर अब प्रकाश भगत अपने भाई के साथ मिलकर इसे चलाते हैं. प्रकाश बताते हैं कि यहां का लिट्‌टी खाने के लिए आसपास के कई प्रखंडों के लोग आते हैं. पहले यहां सिर्फ लिट्टी और भूंजा मिलता था. अब यहां कई तरह की मिठाई भी बिकती है.

भीड़ बढ़ने पर सड़क पर खड़े होकर लोग खाते हैं लिट्‌टी

ग्राहकों ने बताया कि दोपहर के समय यहां काफी भीड़ रहती है. इस वजह से कई बार लोगों को दुकान के बाहर खड़े होकर खाना पड़ता है. एक ग्राहक रंजीत कुमार ने बताया कि हमलोग बचपन में ही यहां लिट्टी खाने के लिए आते हैं. इतने वर्षों के बाद भी स्वाद में कोई अंतर नहीं आया. इसलिए ग्राहक अब तक बंधे हुए हैं. स्वाद की अगर बात करें तो पूर्व सांसद पप्पू यादव भी जब कभी इस रास्ते से गुजरते हैं, तो यहां का लिट्‌टी जरूर खाते हैं.

अब ब्रांच खोलने की है तैयारी

दुकानदार प्रकाश भगत बताते हैं कि वह अब अपने भाई आकाश के साथ दुकान को संभालते हैं. उन्होंने बताया कि उनके यहां जो कारीगर हैं, वह लिट्‌टी बनाने में शुद्ध आटे और शुद्ध चने का इस्तेमाल करते हैं. इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले मसाले को उनके कारीगर खुद से तैयार करते हैं. जो उनके दादा ने उनके पिता को, फिर पिता ने अपने भाई को और अब चाचा ने उनदोनों भाइयों को सिखाया है. इस दुकान से वे 8-10 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. प्रकाश बताते हैं कि समय के साथ उन्होंने दुकान का स्वरूप बदला है. अब वे इस दुकान का ब्रांच खोलने को लेकर काम कर रहे हैं.

Tags: Bihar News, Madhepura news

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