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Saharsa News : कभी जहां थे रेत के टीले, अब किसानों की मेहनत लाई रंग लहलहा रहे खीरे और तरबूज के पेड़

Saharsa News : कभी जहां थे रेत के टीले, अब किसानों की मेहनत लाई रंग लहलहा रहे खीरे और तरबूज के पेड़

रिपोर्ट- मो. सरफराज आलम

सहरसा. सरकार भले ही कृषि क्षेत्र में तमाम तरह की क्रांति की बात करती है, बावजूद इसके बिहार में अभी कृषि क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है. यही कारण है कि यहां के किसान अपनी जमीनों का अत्यधिक इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. सहरसा जिले के कोसी दियारा इलाके में जिस रेतीली जमीन की ओर किसान झांकते तक नहीं थे.

उन्हीं बंजर बलुआही जमीन पर इन दिनों उत्तर प्रदेश के किसानों के द्वारा लगाए गए फसलों के पौधे लहलहाते हुए दिख जाएंगे. उत्तर प्रदेश के 50 से अधिक किसान यहां हर साल 5 माह के लिए रहते हैं और खीरा, कद्दू, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा उपजाकर बड़े पैमाने पर मुनाफा कमाते हैं.

200 एकड़ खेत में लगाते हैं फसल

किसान मो. इसरान बताते हैं कि हम लोग सहरसा जिले के पूर्वी कोसी बांध के किनारे-किनारे की बलुआही जमीन पर खेती करते हैं. जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि इस जमीन पर फसल नहीं होगा. लेकिन हमलोग उस जमीन पर दिन-रात मेहनत कर फसलों की खेती करते है.

वे बताते हैं कि खीरा का बीज 18000 रुपए किलो खरीद कर लाते है, तो वहीं तरबूज का बीज 25 हजार रुपए किलो खरीदते हैं. वे बताते हैं कि बलुआही जमीन पर धान-गेहूं जैसे फसल का उत्पादन नहीं होता है. लेकिन इस सीजन में इस जमीन पर बड़े पैमाने पर खीरा, कद्दू, ककड़ी, तरबूज, खरबूज उपजाया जा सकता है.

5 माह तक करते हैं दियारा में खेती

आमतौर पर हम और आप जानते हैं कि बिहार से बड़े पैमाने पर मजदूर उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के खेतों में काम करने के लिए साल भर जाते रहते हैं. लेकिन कम ही लोग यह जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किसान भी इन दिनों बड़े पैमाने पर बिहार में आकर यहां पर 3000 प्रति एकड़ बलुआही जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं. यह उनकी जीवटता को दर्शाता है.

यूपी के किसान मो. इसरान बताते हैं कि वे लोग हर साल इस दियारा इलाके में आते हैं. 4 से 5 माह यहां रहकर चार से पांच प्रकार के फसलों की खेती करते हैं. जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी हो जाता है. वे बताते हैं कि फसल पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद विभिन्न मंडियो में जाकर सप्लाई करते हैं. बाढ़ से एक माह पहले सभी किसान वापस अपने घर यूपी चले जाते हैं.

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